tag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post2200712433956358357..comments2024-01-24T11:55:51.357+05:30Comments on बैरंग: तंज़निगारी-1सागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-15012729954421853872012-02-11T20:18:20.622+05:302012-02-11T20:18:20.622+05:30आरदणीय
आपके द्वारा लिखे गये शब्दों के पढकर सचमुच ...आरदणीय <br />आपके द्वारा लिखे गये शब्दों के पढकर सचमुच भाव विभोर हो गया हेूं इस बेहतरीन post के लिये बधाई स्वीकार करें सादर <br />अशोक कुमार शुक्ला .अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-61714329943808221632012-01-24T02:48:26.221+05:302012-01-24T02:48:26.221+05:30बहुत बढिया भाई..इब्ने-इंशा की इस किताब के बारे मे ...बहुत बढिया भाई..इब्ने-इंशा की इस किताब के बारे मे किसी से सुना था..और तब से इस किताब के नाम सर्चवारंट जारी कराया था..मगर अभी तक इंटरपोल के हाथ भी नही आयी..इसलिये ये अच्छा लगा कि डाकिया अब किताब को किश्तों मे हम निठल्लों तक घंटी बजाते हुए पहुंचाता रहेगा..सेटायर लिखने मे इब्नेइंशा खासे नामवर रहे हैं..और आप भी छाँट-छाँट कर टुकड़े लाये हैं..शुक्रिया<br />वैसे पढ़ते हुए सोच रहे थे कि हम भले ही नवरतन बन अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-73145633836635824172012-01-23T21:53:20.749+05:302012-01-23T21:53:20.749+05:30पढ़ने से काफी कुछ रह गया है.... उसी को आपकी लौटी ब...पढ़ने से काफी कुछ रह गया है.... उसी को आपकी लौटी बेरंग में पढ़ा ... आभार.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-56636057673015878792012-01-22T19:51:04.562+05:302012-01-22T19:51:04.562+05:30ये कमाल की किताब है...मैंने कोई बीस साल पहले पढ़ी ...ये कमाल की किताब है...मैंने कोई बीस साल पहले पढ़ी थी...बहुत कुछ अभी भी याद है और आपकी पोस्ट ने यादों को ताज़ा कर दिया...शुक्रिया<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com