tag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post6870367432066527445..comments2024-01-24T11:55:51.357+05:30Comments on बैरंग: दायरा–कैफ़ी आज़मीसागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-65586193203206162552011-03-12T19:51:32.062+05:302011-03-12T19:51:32.062+05:30अब राम सदा के लिए निर्वासित हो गए है .....रावणों क...अब राम सदा के लिए निर्वासित हो गए है .....रावणों के तो खैर कई क्लोन है.....रोज नए मिलते हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-87511683136772794842011-03-12T08:27:30.471+05:302011-03-12T08:27:30.471+05:30..बढ़िया।..बढ़िया।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2735323913648056853.post-8427819239433314852011-03-11T20:54:36.473+05:302011-03-11T20:54:36.473+05:30वाह !!! बैरंग के डाकिये काफ़ी सक्रिय हो गये हैं त्...वाह !!! बैरंग के डाकिये काफ़ी सक्रिय हो गये हैं त्यौहार के आते ही :)<br /><br />कैफ़ी साहब की ये नज़्म पहले भी पढ़ी है पर जितनी बार भी पढ़ो दिल को उतनी ही छू जाती है... शुक्रिया डाकिया बाबू इसे फिर से पढ़वाने का..<br /><br />कैफ़ी साहब की बात चली है तो उन्होंने सोमनाथ के मंदिर पर भी एक नज़्म लिखी थी, वो शेयर कर रही हूँ यहाँ...<br /><br /><b>बुत-शिकन कोई कहीं से भी ना आने पाये<br />हमने कुछ बुत अभी richahttps://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.com