डाकिए की ओर सेः प्रेम पत्रों की अपनी एक अलग दुनिया है। यह घोर निजता है। नितांत अकेले में सिर्फ प्रेमी या प्रेमिका की चहलकदमी में उपजा ख्याल है। प्रेम पत्र यदि तफसील से लिखी गई हो और यदि उसे गौर से पढ़ा जाए उस वक्त का देशकाल उजागर होता है। यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ हो सकता है। अब यदि एक रिक्शेवाला प्यार में खत लिखता है तो बेकरारी के साथ साथ मिलन में आने वाली बाधाओं का जिक्र मिलता है, समाज की टेढ़ी नज़र, चाहे अनचाहे लोगों की सोच का पता चलता है। सबमें भावनाएं समान हैं बस फर्क है अंदाज़-ए-बयां का, विचार का। दिक्कत यह है कि हम निजी स्तर पर तो सबका खत पढ़ना चाहते हैं पर सार्वजनिक रूप से विश्वप्रसिद्ध हस्ती का। नेहरू का लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना को लिखे प्रेम पत्र आज काॅलेज पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। ज़ाहिर है अप्रत्यक्ष रूप से यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन जाती हैं जो तत्कालीन इतिहास और समाज को थोड़ा और स्पष्ट कर विभिन्न शोधकार्यों में सहायक हो जाती हैं। यहां भी कुछ ऐसे ही अंश दिए जा रहे हैं।
आभार एक स्त्री पत्रिका बिंदिया का जिसके फरवरी अंक में यह अंश मिला। इसे जूम करके पढ़ा और सेव ऐज कर सहेजा जा सकता है।
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bahut hi sundar .aabhar aapka aur us patrika ka bhi
ReplyDeleteबायस है इतिहास भी ...कुछ लोगो के लिए ....देखना आने वाले वक्तो में ये लेटर भी गायब हो जायेगे .गांधी के कई खतो की तरह जिनमे उनकी वैचारिक -आध्यात्मिक पत्निया थी कस्तूरबा से इतर !
ReplyDeleteइतने कीमती प्रेमपत्र पढवाने के लिये आभार्।
ReplyDeleteaise hi desh kaal ujagar karte huye ye prem patra padiye..
ReplyDeletehttp://naamgumjayegaa.blogspot.com/2011/09/blog-post_04.html