Tuesday, December 21, 2010

चींटी और टिड्डा

'चींटी और टिड्डा ' कहानी तो सबने सुनी होगी? भारत में भी हुआ था एक बार यही, जब चींटी ने पूरी गर्मी में मेहनत करके अपने लिए घर बनाया और टिड्डा?वो तो ठहरा मस्त मौला , तो इस कहानी में कैसे सुधर जाता? जाड़ों के दिनों में चींटी मज़े से अपने 3 बेडरूम किचन ड्राइंग रूम  अपार्टमेन्ट  में २४*7 फ़ूड , एनर्जी और वाटर सप्लाई के मज़े लेने लगी...


...यहाँ तक तो सब ठीक लेकिन ये भारीतय टिड्डा था....
चुप क्यूँ रहता?


टिड्डे ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, और अपनी व्यथा सबको सुनाई , और जानना चाहा देश की जनता से कि मैं कैसे ऐसे रह सकता हूँ जबकि देश में एक 'चींटी वर्ग' भी है?

NDTV, बीबीसी, INDIA TV, The Times Of India आदि सभी मुख्या न्यूज़ चैनल और अख़बारों ने इस घटना को भूखों मरते टिड्डे कि फोटू और उसके बगल मैं चींटी की वाटर पार्क में खिचवाई फोटू के साथ दिखाया.

आखिर एक बेबस टिड्डा ऐसे कैसे मर सकता है ? फिर क्या था?

अरुंधती रॉय ने चींटी के घर के सामने धरना दिया....

मेधा पाटेकर टिड्डे के साथ आमरण अनशन में बैठ गयी...

मायावती ने इसे अल्पसंखकों के खिलाफ षडयंत्र कहा....

कोफ्फी अन्नान ने भारतीय सरकार को 'टिड्डे की मूलभूत सुविधाओं' का ख्याल न रखने हेतु आड़े हाथों लिया.




टिड्डे के ब्लॉग 'चींटी के पार' में कमेन्ट और फोलोवर  १००० के पार पहुँच गए थे.

'स्वर्ग और चिरस्थायी शांति के लिए अग्रेषित करें , और न करने पर परमेश्वर के प्रकोप के लिए तैयार रहे ' टाइप चैन मेल की बाढ़ ही आ गयी जिसमें माइक्रोसॉफ्ट वाले कथित तौर पर टिड्डे को हर फॉरवरडेड  मेल में 1 पैसा देने वाले थे .

विपक्षी दल के नेताओं ने सदन का बहिष्कार किया और लोक सभा ,राज्य सभा की कार्यवाही नहीं चलने दी.

लेफ्ट फ्रंट ने बंगाल बंद का आह्वाहन किया.

केरला ने न्यायिक जांच करवाने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया.

CPM ने तुंरत ही एक कानून पारित किया जिससे की चींटी को अत्यधिक क्ष्रम करने से रोका जा सके  तथा चींटी और टिड्डे के बीच गरीबी का साम्यवाद आ जाए .

ममता बनर्जी ने टिड्डे के लिए भारतीय रेल की सभी गाड़ियों में मुफ्त एसी कोच की व्यवस्था करवा दी.
'टिड्डा रथ' नामक एक स्पेशल रेल भी चलाई  गयी .


अर्जुन सिंह ने आनन फानन में टिड्डे के लिए सभी सरकारी विद्यालयों एवं इन्सट्युटज़   में शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण दिए  जाने की घोषणा कर दी .

चींटी को 'पोटागा' के अर्न्तगत दोषी पाया गया.चूंकि चींटी के पास देने के लिए कुछ नहीं बचा अतः उसका घर कुर्क कर दिया गया और एक शानदार समारोह में टिड्डे को दे दिया गया.ये शानदार समारोह सभी टीवी चंनल में लाइव दिखाया जा रह था.

अरुंधती रॉय ने इसे ' न्याय की जीत' की संज्ञा दी

लालू ने इसे 'सामाजिक न्याय ' कहा .

सीपीएम ने कहा की ये ' क्रांतिकारी दलित के पुनरुत्थान ' की कथा है.

कोफ्फी अननन ने टिड्डे को UN जनरल असेम्बली में आमंत्रित किया.

कई सालों बाद ...
.....
...........

...चींटी विदेश में बस गयी.

आरक्षण के बावजूद कही भारत में अब भी हजारों टिड्डे भूख से मर रहे हैं.

...कई चींटियों को खोने और कई टिड्डों को पालने के कारण भारत अब भी विकासशील देश है.

(Inspired From A Spam Mail)

5 comments:

  1. बिल्कुल सही, और चुनचुन कर चोट की है, बहुत बढ़िया, यही हो रहा है

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  2. तल्ख़ है. पर क्या सच में यही हो रहा है? क्या सच में चींटी इसीलिये सुख भोग रही है कि उसने विपरीत समय में मेहनत करके जमापूँजी एकत्र की थी और टिड्डे ने उन दिनों मस्ती की थी?
    क्या हमारे देश में आरक्षण पाने वाले सभी वर्ग पहले के समय में टिड्डे की तरह मस्ती में रहे हैं ?
    खैर कुछ भी हो व्यंग्य तो जबर्दस्त है और कुछ हद तक सही भी, पर ये सारे टिड्डों और चींटियों पर सही नहीं बैठती.

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  3. ओर सुना है टिड्डो के कुछ समूह ने रेल की पटरियों पर अपना डेरा डाला है ......प्रधानमंत्री ओर उनकी पार्टी ने ईमानदारी के अपने पुराने बोर्ड को स्टोर से निकलवाकर उस पर नयी पोलिश का ऑर्डर दिया है

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  4. अभी एक पोस्ट पर आने वाला कमेंट्स और उस कमेंट्स के विरोध में लिखी जा रही पोस्टें पढ़ के आ रहा हूँ...इस वजह से कमेंट्स करने से डर रहा हूँ....फिर भी आदत है कमेंट्स करनेकी सो कर दे रहा हूँ हाँ बहस नहीं कर सकूँगा इस मुद्दे पर और नहीं इस्बहस के पक्ष बिपक्ष में पोस्ट पर पोस्ट लिख पाउँगा....
    'चींटी और टिड्डा ' कहानी अपने आप में पहली बार इस तरह कि पोस्ट में इस ब्लॉग पर देख रहा हूँ....इस पोस्ट के एक दो संदर्भो को ही मेरी सहमती है....यहं 'चींटी और टिड्डा ' कि कहानी का बिलकुल गलत संदर्भो में इस्तेमाल किया गया....मैं दर्पण साह से सिर्फ इतना पूछना चाहूँगा क्या सच मच ये अपने देश के सम्बन्ध में ये कैरेक्टर इसी तरह हैं...मुझे तो लगता है.....चीटी कि जगह टिड्डे को और टिड्डे कि जगह चींटी को रख दिया गया है.....अरुंधती रॉय का जिस सन्दर्भ में इस्तेमाल किया गया है उससे सहमत हूँ....लेकिन मेधा पाटेकर का नाम यहाँ गैर वाजिभ लगा....यहाँ टिड्डे (जिस सन्दर्भ में उनका इस्तेमाल है) दिन भर काम करते दीखते हैं और चीटियाँ उनके हक़ को छीन कर मौज मनाते दिखाई देती हैं...एक तरीके से कहूँ तो मुझे इस पूरी पोस्ट का मकशद समझ में नहीं आया...इस ब्लॉग पर.....'चींटी और टिड्डा ' कहानी का किस तरह गलत सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाना चाहिए ये जानना है तो जरुर इस पोस्ट को पढ़ा जाना जरुरी है....

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  5. Merry Christmas
    hope this christmas will bring happiness for you and your family.
    Lyrics Mantra

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जाती सासें 'बीते' लम्हें
आती सासें 'यादें' बैरंग.

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