Tuesday, February 28, 2012

अँधेरे वक्त का हिसाब किताब.. विद्रोही सुर का कवि पाश...( ९ सितम्बर १९५० - २३ मार्च १९८८)


उसने महकती शैली में फूलों के गीत नहीं लिखे..उसकी कविता के शब्द गुलाब जैसे नाज़ुक नहीं..पर काँटों जैसे तीखे जरूर है..उसे ये गुमान नहीं था कि उसकी कविता समाज की सभी मुश्किलों का हल कर देगी..
"मुआफ़ करना मेरे गाँव के दोस्तों,
मेरी कविता तुम्हारी मुश्किलों का हल नहीं कर सकती"
१९७८ से १९८८ तक पाश ने कविता नहीं लिखी..१९८२ की डायरी में १३ जून के पन्ने पर लिखते है  "१९७४ में मैंने पता नहीं क्यूँ लिखा था मेरी कविता कभी चुप नहीं होगी...अब मेरी कविता को बहार आए ६ साल हो गये. शायद मेरी ज़िन्दगी में घटनाओं की फितरत बदल गयी है."
कवि पाश हर कवि की तरह सम्वेदनशील हैं, भले वो मानते थे कि कविता जैसी चीज़ उनके पास कम है..पर सम्वेदना हर गीत में, हर बोल में कविता जैसी चीज़ का अहसास दिलाती है...

१- है तो बड़ा अजीब
अगर तेरा गौना नहीं होता
तो तुझे भ्रम रहना था..
कि रंगों का मतलब फूल होता है..
बुझी राख की कोई खुशबू नहीं होती.
तू मुहब्बत को किसी मौसम का 
नाम ही समझती रहती..

तूने शायद सोचा होगा
तेरे क्रोशिये से काढ़े हुए लफ्ज़ 
किसी दिन बोल पड़ेंगे.
या
गंदले पानिओं में भीग न सकेंगे..
बटन जोड़-जोड़ कर बुनी बत्तखों के पर..
तूने कभी सोचा भी नहीं होगा..
गौना दहेज़ के बर्तनों की छन-छन में
पायल की खामोशी का बिना कफन जलना है..
या 
रिश्तों की आग में रंगों का टूट जाना है..
असल में
गौना कभी न आने वाली समझ है..
किस तरह कोई भी गाँव
धीरे-धीरे बदल जाता है "दानबाद" में.
गौना असल में सपनों का पिघल कर
पलंग, पीढ़ी ,झाड़ू में बदलना है..
है तो बड़ा अजीब..
कि हाथों पर पाले सच को,
जरा कच्ची सी मेंहदी से झिड़क देना..
या
हल चलाये खेत में दफन
कुचली हुई पगडण्डी को याद करना..
आज जब कि किनारों पर ही डूब गयी
बटनों वाली बत्तख..
आज भी हादसों के इंतज़ार में बैठी हो तुम,
महिज़ घटनाओं की दीवार के उस पार
जो कभी किसी से फांदी नहीं गयी..

है तो बड़ा अजीब
कि मैं जो कुछ भी नहीं लगता तेरा,
दीवार के इधर भी और उधर भी
मरी हुई और मरने जा रही बत्तखों को उठाये फिरता हूँ..!

 (पंजाब के तमाम गाँवों मे पुरानी रवायत से लड़की गौने मे ही पहली बाद विदा हो कर ससुराल जाती थी!)

२- तू गम न किया कर

तू गम न किया कर,
मैंने अपने दोस्तों से बोलना छोड़ दिया है..
पता है?
वह कहते थे- अब तेरा घर लौट पाना मुश्किल है..
वह झूठ कहते थे न मां,
तू मुझे अब वहां बिलकुल न जाने देना
हम वहां बबलू को भी नहीं जाने देंगे
ये वही लोग है जिन्होंने मुझसे बड़े को
तुझसे जुदा कर दिया था..
तू गम न किया कर
मैं उस अशिम चैटर्जी को 
मूंछों से पकड कर तेरे कदमों में पटक दूंगा.
वह भाई की हड्डियों को जादू का डंडा बना कर
नये लडकों के सिर पर घुमाते है..
तू रोती क्यूँ है माँ
मैं बड़ी बहन को भी उस रास्ते से वापिस ले आऊंगा..
फिर हम सभी भाई बहन
इकट्ठे हो कर पहले जैसे ठहाके लगाया करेंगे.
बचपन के उन दिनों जैसे..
जब तेरी आँखों पर दुपट्टा बांध कर
हम पलंग के नीचे छिप जाते है
और तू हाथ बढ़ा कर.. छु-छु कर हमें ढूंढा करती थी
या बिलकुल पहले जैसे जब मैं 
तेरी पीठ पर चुटकी काट कर भाग जाता था
और तू गुस्से में मेरे पीछे
बेलन खींच कर मारती थी..
मैं टूटा बेलन दिखा-दिखा तुझे बड़ा सताता था..

भाई की याद तुझे बहुत आती है न माँ?
वह बहुत भोला था
एक बार की याद है?
जब वह पेड़ से लकड़ियाँ काटते गिर पड़ा था
बांह टूट गयी थी पर हँसता रहा था..
ताकि तू सदमें से बेहोश न हो जाये
और बहन, तब कितनी छोटी थी
बिलकुल गुड़िया सी..
अब वह शहर जा कर क्या-क्या सीख गयी है
पर तू गम न किया कर..
हम उसकी शादी कर देंगे
फिर मैं और बबलू 
इसी तरह तेरी गोद में 
परियों की कहानी सुना करेंगे
हम माँ..कहीं दूर चले जायेंगे..
जहाँ सिर्फ पंछी रहते है..
जहाँ आस्मां जरा से शामियाने जितना नहीं होगा..
जहाँ पेड़ लोगों जैसे होंगे
लोग पेड़ों जैसे नहीं 
माँ तू गम ना कर..
हम फिर एक बार उन दिनों की ओर लौट जायेंगे..
वहां जहाँ शहर का रस्ता 
एक बहुत बड़े जंगल में से हो कर जाता है...!

Friday, February 24, 2012

सागर और रेत - भाग एक

डाकिये की ओर से :प्रस्तुत उद्धरण खलील जिब्रान की क्लासिक 'सेंड एंड फोम' के अपरिपक्व हिंदी अनुवाद है:



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तुम अंधे हो, मैं बहरा और गूंगा.
तो चलो, हाथों को छूकर समझें.

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आपकी प्रासंगिकता इस बात से नहीं है कि आप क्या पाते हैं, अपितु इससे है कि आप क्या पाना चाहते हैं.

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तुम मुझे कान दो, मैं तुम्हें आवाज़ दूँगा.

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Jesus the Son of Man (Khalil Gibran)


मेरा कहा, आधे से ज्यादा तो अर्थहीन ही होता है. लेकिन मैं फिर भी वो अर्थहीन कहता हूँ, जिससे कि बाकी का महत्वपूर्ण भी आप तक पहुंचे.

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‘सत्य’ जानने योग्य तो सदैव ही है, किन्तु आवश्यक्तानुसार ही कहे जाने योग्य है.

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मेरी आत्मा की आवाज़ आपके आत्मा के कानों तक कभी नहीं पहुंच सकती, लेकिन फिर भी चलो बातें करें, कि हम तन्हा न महसूस करें.

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जब दो स्त्रियाँ बात करती हैं, वो कुछ नहीं कहतीं.
जब एक स्त्री बोलती है, वो अपना सम्पूर्ण जीवन वर्णित कर चुकती है.

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केवल मूर्ख ही वाचाल से ईर्ष्या रखता है.

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आप ‘वास्तव’ में अपनी आँखें खोल के तो देखो, हर दृश्य में स्वयं को दृश्यमान पाओगे.
और हर आवाज़ में अपनी ही अंतर्ध्वनि सुनोगे, जो अपने कान ‘वास्तव’ में खुले रख के सुनोगे.

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तब जबकि शब्दों की लहरें हमेशा से ही हमारे ऊपर हैं, तो भी हमारे अंतस की गहराई सदा शांत है.

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सत्य की खोज दो के बिना संभव नहीं; एक, जो कहे; दूसरा, जो समझे.

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आओ चलो आइस-पाइस खेलें...
जो तुम मेरे दिल में छुपो तो तुम्हें ढूँढना मुश्किल कहाँ?
जो तुम अपने ही बनाये आवरण में छुप जाओ तो, क्षमा करना किन्तु, कोई
तुम्हें ढूँढना ही क्यूँ चाहेगा?

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जो एक स्त्री को समझ सके, वो जो बुद्धिजीवियों की आलोचना कर सके या सुलझा सके मौन के रहस्य की गुत्थी,
वो,वही इंसान है जो सुबह एक सुन्दर स्वप्न देख के जागे नाश्ते की मेज में बैठने के लिए.

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हमारे विचार किसी विशेष मत,व्यक्ति अथवा संस्था के प्रति झुके हुए और आरक्षित नहीं होने चाहिए. एक छिपकली की पूँछ और एक कवी की कृति, दोनों ही इसी एक जहान के प्रताप की देन हैं.

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उनकी प्रेरणा और कुछ नहीं, दरअसल, हमारे ह्रदय में अपनी कलम डुबाना ही थी.

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कविता कोई विचार नहीं, वो तो एक गीत है जो रिसते घावों से बह निकला, या एक हँसते चेहरे से.

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कविता ‘खुशी’ और ‘दर्द’ का कारोबार है, चुटकी भर शब्दकोष के साथ.

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मैंने एक लेखक मित्र से कहा, ”आपका महत्त्व आपकी मृत्यु तक नहीं पता लगना.”
लेखक बोले,”हाँ मृत्यु सदा से ही राज़ खोलती आई है. और अगर ऐसा हुआ कि आप
को मेरा महत्त्व मेरी मृत्यु के बाद लगा, तो संभवतः मेरे ह्रदय में उससे
कहीं अधिक था, जितना कि मेरी जुबां पर रहा. और मेरी इच्छाओं में उससे
कहीं अधिक था जितना कि मेरे हाथों में.”

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यदि आप, सहरा के एकांत में भी सौंदर्य-गीत गातें हैं तो आपको श्रोता मिल ही जायेगा.

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प्रेरणा हमेशा गायेगी, प्रेरणा व्याख्या नहीं करती.

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आपकी सोच ही आपकी कविता का ‘गतिरोधक’ है.

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एक महान गायक वो है जो हमारा मौन गुनगुना सके.

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आप गीत कैसे गा कैसे सकते हैं, जबकि आपके मुंह में तो गुड़ भरा है.
आप आशीर्वाद के लिए हाथ कैसे उठायेंगे अगर आपकी मुट्ठी में हीरे-जवाहरात हैं?

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हम सौंदर्य की खोज के वास्ते ही जीते हैं. बाकी सब इंतज़ार के ही रूप हैं.

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कई सारी स्त्रियाँ पुरुष का ह्रदय ‘उधार’ लेती हैं, किन्तु कुछ ही ‘अधिकार’ लेती हैं.

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यदि आप ‘इसका’ अधिकार रखते हैं तो दावा क्या करना ?

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जब पुरुष और स्त्री एक दूसरे का हाथ छूते हैं तो वे दोनों ही शाश्वतता का हृदय छूते हैं

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हर पुरुष दो स्त्रियों से प्रेम करता है, एक; जो उसकी कल्पनाओं की कृति है, दूसरी; अभी तक नहीं जन्मी.

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कितनी बार मैंने उन गलतियों का दोष भी अपने सर मढ़ा है जो कि मैंने की ही नहीं,लेकिन जिससे की अगला व्यक्ति मेरी उपस्थिति में, आरामदेह महसूस करे.

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यदि प्रेम चिर-नूतन नहीं तो आदत बन जाता है और अंततः गुलामी.

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प्रेम वो है जो दो के बीच है, न कि एक-दूसरे से.

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प्रेम प्रकाश का वो शब्द है, जो किरण के पन्नों में रोशनी के हाथों से लिखा हुआ है.

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दोस्ती एक मीठा उत्तरदायित्व है न कि अवसर.

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मेरा घर मुझसे कहता है,”मत जाओ, कि यहीं तो तुम्हारा सुनहरा अतीत है.”
और सड़क कहती है,”आ जाओ, कि मैं ही तुम्हारा भविष्य हूँ.”
और मैं, दोनों से ही कहता हूँ,”न तो मेरा कोई माज़ी है, न ही मेरा भविष्य."
यदि मैं यहाँ रुकूं, मेरे रुकने में ही मेरी गति है और यदि मैं वहाँ जाऊं, मेरे चलना ही मेरी जड़ता. केवल प्रेम और मृत्यु ही बदलाव लाते हैं.”
आश्चर्यजनक है कि खुशी की आकांशा ही मेरे दुखों का मूल है.


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यदि आप मित्र को सभी परिस्थितियों में नहीं समझ पाते तो आप कभी उसे नहीं समझ पायेंगे.

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तुम्हारा दिमाग और मेरा ह्रदय तब तक सहमत नहीं होंगे, जब तक कि तुम्हारा दिमाग ‘सांख्यिकी’ में और मेरा ह्रदय ‘धुंध’ में रहना न छोड़ दें.

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हम एक दूसरे को नहीं समझ पाएंगे जब तक कि हम भाषा को सात शब्दों तक सीमित न करे दें.

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जब आप सूरज से मुंह फेर लेते हैं, आप अपनी ही छाया देखते है.

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मेरे ह्रदय का बाँध कैसे खुलेगा, जब तक टूटेगा नहीं ?

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भेडिये ने भेड़ से अनुग्रहपूर्वक कहा,”क्या आप हमारे मेहमान बनकर हमें अनुग्रहित नहीं करना चाहेंगे ?”
भेड़ ने उत्तर दिया,”हम ज़रूर आपके घर आते यदि वो आपका पेट नहीं होता.”

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मैंने देहरी में ही मेहमान को रोककर कहा, ”नहीं जनाब ! मेहरबानी करके आते वक्त अपने पाँव मत धोइए, जब जाइयेगा तब ज़रूर धोइयेगा.”

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आप वाकई बहुत बड़े दानी हैं यदि देते वक्त आप अपना मुंह दूर फेर लेते हैं,जिससे की ग्रहण करने वाले को लज्जा का अनुभव न हो, और हो भी तो आप कम से कम उसे न देख पाएं.

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दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति और सबसे निर्धन के बीच में एक दिन की भूख और एक घंटे की प्यास भर का अंतर है.

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हम हमेशा आने वाले कल से उधार लेकर बीते हुए कल का उधार चुकाते हैं.

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मुझे भी देव और दानव मिलने आते हैं, पर मैं बड़ी आसानी से उनसे छुटकारा पा जाता हूँ.
जब देव आते हैं, मैं एक पुरानी प्रार्थना करने लगता हूँ.
और जब दानव आता है मैं एक पुराना अपराध कर देता हूँ. दोनों ही मुझे छोड़ के चल देते हैं.

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आप वास्तव में एक क्षमा देने वाला कहलाते हैं, यदि, आप क्षमा कर दें उस कातिल को जिसने खून की एक भी बूँद भी नहीं गिराई, आप क्षमा कर दें उस चोर को जिसने कभी चुराया नहीं और क्षमा कर दें उस झूठे को जिसने झूठ नहीं बोला.

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यदि आपका ह्रदय ज्वालामुखी है तो आप कैसे अपेक्षा रखते हैं कि आपके हाथों में एक फूल खिला रहेगा.

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जो आपकी कमीज़ से अपने गंदे हाथ पोछे तो उसे अपनी कमीज़ ले जाने दो,क्यूंकि उसे इसकी दोबारा आवश्यकता हो सकती है, आपको निश्चित ही नहीं.

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जो मुझसे कमतर हैं वही मुझसे घृणा एवं ईर्ष्या करते,
मुझसे कोई भी नफरत अथवा घृणा नहीं करता, मैं किसी से भी बढ़कर नहीं.
जो मुझसे बढ़कर हैं वही मेरा उत्साहवर्धन करते,
मेरा कभी भी उत्साहवर्धन नहीं हुआ, मैं किसी से भी कमतर नहीं.

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हम सभी कैद में हैं, लेकिन हम में से कुछ एक की कोठरियों में खिड़कियाँ हैं.

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यदि कभी हम एक दूसरे के सामने अपने अपराधों को स्वीकार करने लगे, तो हम
एक दूसरे के ऊपर हसेंगे,
कारण : मौलिकता का अभाव.
यदि कभी हम एक दूसरे के सामने अपने गुणों की बातें करने लगे, तो भी हम
एक दूसरे के ऊपर हसेंगे,
कारण : मौलिकता का अभाव.

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‘सरकार’ आपके और मेरे बीच एक संधि है. आप और मैं ज्यादातर गलत होते हैं.

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दूसरे की गलतियों को उकेरना क्या उससे भी ज्यादा बड़ी गलती नहीं कहलाई ?

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यदि ‘कोई दूसरा व्यक्ति’ आप पर हँसता है, तो आप उसपर दया कर सकते हैं.
(किन्तु) यदि आप उस पर हँसते हैं तो आप अपने को कभी क्षमा नहीं करे पाएंगे.
यदि ‘कोई दूसरा व्यक्ति’ आपको क्षति पहुंचाता है , तो आप उसपर दया कर सकते हैं.
(किन्तु) यदि आप उस को क्षति पहुंचाते है आप अपने को कभी क्षमा नहीं करे पाएंगे.
वास्तव में वो ‘कोई दूसरा व्यक्ति’ आपका ही सबसे सम्वेदनशील भाग है,बस शरीर आपसे अलग है.

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ये क़त्ल हो जाने वाले का सम्मान है की वो कातिल नहीं है.

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मानवता की आशा शांत मन में है, वाचाल दिमाग में नहीं.

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एक छात्र और एक लेखक में एक हरा मैदान है, छात्र उसे पार कर जाए तो वो एक बेहतर इंसान हो जाता है, लेखक उसे पार कर जाए पैगम्बर हो जाता है.

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हम अपनी खुशियाँ और क्षोभ का चुनाव उनका अनुभव करने से बहुत पहले करे लेते हैं.

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उदासी दो बगीचों के बीच कि दीवार है.

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यदि आपकी खुशियाँ अथवा आपके क्षोभ बड़े बन जाएँ तो दुनिया छोटी बन जाती है.

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जब आप अपनी ऊँचाई मैं पहुंच जाओ तो इच्छाओं कि इच्छा करो, भूख कि भूख हो और किसी और भी बड़ी प्यास कि प्यास हो.

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यदि मैं, दर्पण, आपके सामने खड़े हो जाऊं, और आप मुझसे कहें कि आप मुझसे प्रेम करते हो, तो आप उस खुद से प्रेम करते हो जिसका अक्स मुझमें है.

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आप उसे भूल सकते हो कि जिसके साथ आप हँसे, किन्तु उसे कैसे भूलोगे जिसके साथ रोये?

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नमक में कोई न कोई तो आश्चर्य जनक बात रही होगी, कोई रहस्य. वो हमारे आंसुओं में भी है और समुद्र में भी.

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अगर आप बादलों कि सवारी करें, आप देशों के बीच कोई सीमा रेखा नहीं पाएंगे, आप खेतों के बीच भी सीमाएं नहीं पाएंगे.
अफ़सोस कि आप बादलों में सवारी नहीं कर सकते .


Tuesday, February 14, 2012

पंच प्रेमधुन

     वेलेंटाइन डे मनाने या ना मनाने के आपके तमाम तर्क और ऐतराज हो सकते हैं, लेकिन अगर इसी बहाने कुछ प्यार मे ढली प्यारी धुने गुनगुनाने का इरादा हो तो फ़ितरतन ये शय बुरी नही! प्यार पे पड़ने, ना पड़ने, उससे बाहर निकल आने, फिर से उसी मे जा पड़ने की तमाम वजहें जिंदगी दे सकती है (और आप खुद को जस्टीफ़ाइ भी कर सकते हैं..हर बार) मगर प्रेम नामक इस रहस्यमय तत्व (जिसके गुणो-अवगुणो पर अनंत काल से निष्कर्षहीन वैज्ञानिक-दार्शनिक-सामाजिक अनुसंधान जारी हैं) को अपनी जिंदगी से स्थाई तौर पर बाहर कर पाना संभव नही होता है। क्योंकि हमारी आत्मा भी इसी तत्व से बनी हुई होगी शायद। खैर अगर ढाई अक्षर पढ़ने (और डाकिये की बकवास सुनने) का आपका इरादा ना भी हो तो भी संगीत की कोमल स्वर लहरियों के जादू से बच पाना नामुमकिन होता है। और यह एक ऐसी दुनिया का दरवाजा है जो दुनिया की सारी भाषाओं, भूगोल के परे जा कर खुलता है, अनुभूतियों के आँगन मे। फिर प्रेम भी तो एक अनुभूति है बस। तो भाषाओं और भूगोल की सरहदों से परे सुरों की सीढियाँ चढ़ते हुए इस मौके पर रूबरू होते हैं समंदर पार के कुछ क्लासिक और शुद्ध 24 कैरेट के रोमांस भरे गीतों से। वैसे तो कोई भी गीत बोलों के संग ही अपनी धुन और गायन की कमंद के सहारे आपके दिल मे उतरता जाता है, फिलहाल गानों के लिरिक्स के ’संक्षिप्त और चलताऊ’ भावानुवाद भी इस डाक के साथ मे नत्थी कर दिये गये हैं। रोमांस की यह संगीतमय पेशकश खासकर उन लोगों के लिये जो प्यार के सिर्फ़ सैद्धांतिक पक्ष पर यकीन रखते हैं (या रखने को मजबूर हैं)। ;-)


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    अल दी ला (ईटालियन): साठ के दशक के प्रसिद्धतम और गजब के रोमांटिक इस इतालवी गीत को यूं तो कई गायकों ने अपनी आवाज दी है. मगर एमिलिओ पेरिकोली के गाये इस वर्जन की बात जुदा है। पहले प्यार जैसी शुद्ध भावुक और आवेगपूर्ण गीत मे गुइलिओ रपेत्ती के लिखे हुए प्रेमिका की तारीफ़ मे शब्दों के खजाने खोल देने वाले बोल एमिलिओ की लोचदार आवाज के पंखों पर चढ़ कर आपको इस दुनिया से परे प्यार की एक दूसरी ही दुनिया मे ले जाते हैं। यह वर्जन (और वीडियो भी) फ़िल्म ’रोमन एडवेंचर’ का हिस्सा है, मगर गीत की लोकप्रियता कई दशकों के बावजूद अभी तक कायम है। वैसे इस गाने के कोनी फ़्रांकिस और बेट्टी कर्टिस वाले फ़ीमेल वर्जन भी कुछ कम लोकप्रिय नही। 

कभी यकीन नही था खुद पर
कि कह पाऊँगा तुमको ये बात:
दुनिया की सबसे अनमोल चीजों से भी परे, वहाँ हो तुम
सबसे महत्वाकाँक्षी सपनो से भी परे, वहाँ हो तुम
खूबसूरत से भी खूबसूरत चीजों से परे
सितारों से भी परे, वहाँ है तुम्हारी जगह
दुनिया की हर चीज से जुदा, वहाँ जहाँ तुम मेरी हो, हाँ सिर्फ़ मेरी
सबसे गहरे समंदरों से भी परे, वहाँ तुम हो
दुनिया की हदों से भी परे, वहाँ तुम्हारी जगह है
अनंत समय से परे, जिंदगी से परे
वहाँ जहाँ तुम हो, हर चीज से परे
वहाँ तुम हो मेरे लिये !


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   तू सेइ रोमांतिका (फ़्रेंच): अब अगली बारी प्रेमी की तारीफ़ की। दालिदा का नाम पिछली सदी के फ़्रांस की सबसे लोकप्रिय गायिकाओं मे से एक है। मूलतः इतालवी इस गीत का यह फ़्रांसीसी वर्जन है जिसे दालिदा ने अपनी अलहदा और खूबसूरत आवाज के पैमाने मे ढाल कर खासा नशीला बना दिया है। दालिदा भी वैसे तो इतालवी मूल की ही थीं मगर उन्होने दस से भी ऊपर भाषाओं मे गाने गाये। किसी शर्माये सकुचाये प्रेमी के मन की गिरहें खोलती प्रेमिका के दिल से छलकते प्यार का सोंधापन दालिदा की आवाज से भी छलका जाता है। वैसे इसका मूल इतालवी वर्जन डिनो वर्दे का लिखा और रोनातो रास्केल का गाया हुआ है।

तुम भी अजब हो, पर जाहिर नही होने देते
और कोई जान भी नही पाता है
अजीब हो तुम, तुम्हारी आँखों मे अगन नही दिखती
मगर तुम्हारे दिल मे छुपी है अगन

कितने रूमानी हो तुम, और आवारा
तुम नही करोगे कुबूल
मगर मै जानती हूँ
सब पता है मुझे
इतने रूमानी हो तुम, तभी मेरा दिल आता है तुम पर
कितनी उदास होती है तुम्हारी आंखें
जब हमारे आसमां का नीलापन होता है कम

बच्चे से खिलखिलाती हँसी या कि बहार का कोई फ़ूल
लकड़ियों मे जलती आग सा कोई गीत
दिल मे ही छुपा लेते हो प्यार
और मेरे सामने जाहिर नही होने देते
डरते हो कि मजाक न बने तुम्हारा
अपनी खुशियों को जाहिर नही होने देते
रखते हो खुद से भी छुपा कर

तुम हो इतने रूमानी कि मै तुम पर जान देती हूँ
तुम्हारे होने से मुझे जिंदगी एक खूबसूरत कविता सी लगती है

तुम छुपाते हो मगर पता है मुझे
तुम्हारे अक्स से बने होते हैं मेरे सब सपने
और जब मै देखती हूँ तुम्हे रूमानी और आवारा
मुझे तुम ही लगते हो वजह
मेरी सारी खुशियों की

कितने रूमानी हो तुम
रूमानी हो मेरे लिये


*********

   केरार इ अमॉर (स्पेनिश): यह मधुर गाना प्रसिद्ध मेक्सिकन गायक होसे होसे के सबसे लोकप्रिय गानों मे शुमार है। रोमांटिक गीतों के राजकुमार की उपाधि से नवाजे गये होसे बीसवी सदी के उत्तरार्ध के सबसे प्रसिद्ध लैटिन गायकों मे से माने जाते हैं। उनकी सौम्य और मोहक आवाज और कर्णप्रिय संगीत से सजा यह गीत प्यार को डिफ़ाइन करने की कोशिश करता है और सच्चे प्यार को हाइलाइट करने की भी। वैसे होसे के गाये रोमांटिक गाने दुनिया के हर कोने मे लोकप्रिय हुए हैं।

हर किसी को मालुम है लगभग
कि कैसे चाहा जाता है किसी को
मगर कुछ ही जानते हैं
कि कैसे किया जाता है प्रेम
एक बात नही है दोनो
चाहना और प्रेम करना
प्यार होता है दर्द, चाह होती है आनंद के लिये
प्यार होता है बढ़ते जाना आगे
निछावर कर दे्ना जीवन प्रेम मे
लालसा रखने वाला जिये जाना चाहता है जबकि,
नही चाहता पीड़ा भोगना
प्रेम मे सो्चा नही जाता कुछ, बस दे देना होता है अपना सब कुछ
कामना रखने वाला भूलना चाहता है सब
नही उठाना चाहता दुख
बहुत जल्द खत्म हो जाती है चाहत
जबकि प्रेम होता है अनंत

प्रेम है आकाश और प्रकाश
प्रेम सम्पूर्णता देता है
समंदर जिसका कोई किनारा नही
प्रेम है कीर्ति और अमन
लालसा है दैहिक, एक अंधे कोने की तलाश
लालसा है छुअन, चुंबन
लालसा है पल भर की आग

सबको आता है चाहना किसी को
किसी किसी को आता है प्रेम करना


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   बेबी इट्स कोल्ड आउटसाइड (इंग्लिश): इस कड़ी मे अगली पेशकश एक अमेरिकन युगल गीत है। फ़िल्म ’नेपच्यून’स डाटर’ के इस गीत को 1949 का आस्कर अवार्ड मिला था और यह गीत आस्कर विजेता लोकप्रियतम गीतों मे से शुमार किया जाता है। इसको जॉनी मर्सर और मार्गरेट व्हाइटिंग ने अपनी आवाज दी है। इस गीत मे टीन-एज प्रेम अपने सबसे आम और सहज रूप मे सामने आता है। यहाँ प्यार फ़ैंटेसी भर नही है बल्कि प्यार की कोमल मिठास भरे विलयन मे पिता, भाई, अम्मा, पडोसी और दुनिया भर की भी फ़्रिक्रें घुली हुई हैं। छेड़छाड़ और हलकी शरारत, नजाकत भरे बोलों मे जहाँ लड़के की अपनी प्रेमिका से कुछ देर और रुक जाने की प्यार भरी कामनामय मनुहार है तो लड़की के प्यार मे डूबे दिल और तमाम डरों से घिरे दिमाग के तमाम बहानों के बीच की कशमकश है। टिपिकल बालीवुडिया किस्म के प्रेम मे रचा हुआ यह गाना कितनी भी बार सुने आपको हर बार पहले से अच्छा ही लगता है। क्लासिक का दर्जा प्राप्त इस गाने को तमाम दूसरे कई गायकों ने भी अपनी आवाज दी है।


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   ला वियें इन रोज (फ़्रेंच): पोस्ट का आखिरी गाना पिछली सदी के सबसे रोमांटिक और पापुलर गानों मे से एक है। फ़्रेंच गायिका एदिथ पियाफ़ का यह गाना प्रेमधुन के धुनियों के लिये जरूरी खुराक है। सौ टके रोमांस मे डूबे बोलों को एडिथ की विशिष्ट आवाज की कालातीत स्पर्श और खासे नास्टाल्जिक म्यूजिक का साथ एक दैवीय फ़्लेवर देता है कि यह गीत फ़्रांस के सर्वकालिक लोकप्रिय गीतों मे ही नही बल्कि प्रेम की सर्वकालिक लोकप्रिय धुनों मे से एक माना जाता है।

आंखें जो निहारती हैं मुझमे
मुस्कराहट जो खो जाती है होठों पर
अछूती सी छवि है मेरे प्रियतम की
मै हूँ जिसकी

जब वो मुझे बाहों मे भरता है
और हौले से कुछ कहता है कानों मे
मुझे जिंदगी गुलाबों सी रंगीन दिखती है
उसकी प्रेम से पगी बातें
रोजमर्रा की बातें
जादू सा करती जाती है मुझ पर
खुशी से भरता जाता है मेरा दिल
और मै जानती जाती हूँ
कि वो मेरा है और मै उसकी, सारी उमर
उसने बोला है मुझे
जिंदगी भर के संग का वादा किया है मुझसे
मै अपने अंदर महसूसती हूँ
अपना दिल धड़कता हुआ

प्यार की अंतहीन रातों मे
एक खुशी छाती है धीरे-धीरे
और सारा दर्द, सारी चिंताएं गुम होती जाती हैं
खुशी खुशी मर सकते हैं प्रेम मे



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