Tuesday, March 4, 2014

फीदेल के नाम चे का पत्र

फीदेल,
            इस क्षण मैं कई बातें स्मरण कर रहा हूं - जब मैं मारिया एंटोनिया के घर पर आपसे मिला, जब आपने मुझे आने का परामर्श दिया और तैयारियों से संबंधित वे सारे तनाव आज मेरे स्मृति-पटल पर नाच रहे हैं।
    एक दिन उन्होंने पूछा था कि मृत्यु के वरण करने पर किसे शापित किया जाए और तथ्य की वास्तविक संभावना ने हम सभी को प्रभावित किया था। बाद में हम अच्छी तरह समझ गए कि क्रांति में व्यक्ति विजय प्राप्त करता है या मृत्यु को प्राप्त होता है, यदि वह वास्तविक है। और कई साथी विजय-मार्ग पर वीर-गति को प्राप्त हुए।
    आज प्रत्येक वस्तु कम नाटकीय लगती है, क्योंकि अब हम और अधिक परिपक्व हैं। लेकिन तथ्यों की पुनरावृत्ति होती है। मैं अनुभव करता हूं कि मैं अपने कर्तव्य के उस भाग को पूर्ण कर चुका हूं, जिसने मुझे क्यूबाई क्रांति से उसी के क्षेत्र में बांध रखा था और अब मैं आपसे, अपने साथियों से, अपने लोगों से जो वस्तुतः मेरे भी अपने सगे हैं, सभी से विदा लेता हूं।
    मैं दल के राष्ट्रीय नेतृत्व में अपनी स्थितियों, अपने मंत्री, अपने मेजर के पद और अपनी क्यूबाई नागरिकता को त्यागने की घोषणा करता हूं। अब कोई विधि नियम मुझे क्यूबा से नहीं बांधता। केवल वे बंधन जो दूसरी प्रकृति के हैं- तोड़े नहीं जा सकते, जबकि पदों को तोड़ा और छोड़ा जा सकता है।
    अपने अतीत का स्मरण करते हुए, मेरा विश्वास है कि मैंने यथेष्ट गौरव और निष्ठा के साथ क्रांतिकारी विजयों को संगठित करने में भरपूर योगदान किया है। मेरी गंभीर असफलता यही थी कि सीरा माइस्त्रा के प्रथम क्षणों से ही मैंने आप में और आधिक विश्वास नहीं किया और नेता तथा क्रांतिकारी के रूप में आपके गुणों को यथेष्ट शीघ्रता से नहीं समझा।
    मैंने एक शानदार जीवन बिताया है और आपके साथ उस गौरव का अनुभव किया है, जो हमारी जनता के कैरीबियन संकट के समय उन शानदार किंतु चिंतापूर्ण दिनों से संबंधित हैं।
    उन दिनों आप जैसे प्रवीण राजनीतिज्ञ वस्तुतः बहुत कम हुए। मुझे इस बात का भी अभिमान है कि मैंने बेहिचक आपका अनुगमन किया, आपकी चिंतनपद्धति को अपनाया और खतरों तथा सिद्धांतो के विषय में आपके दृष्टिकोण को यथार्य रूप में समझा।
    संसार के अन्य राष्ट्र भी मेरे नम्र प्रयत्नों की मांग करते हैं। मैं उस कार्य को कर सकता हूं जो क्यूबा के प्रधान होने के उत्तरदायित्व के कारण आपके लिए निषिद्ध हैं। और अब समय आ गया है कि जबकि हमें एक दूसरे से विदा ले लेनी चाहिए।
    मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं यह सब प्रसन्नता और दुःख के मिश्रित भावों के साथ कर रहा हूं। मैं यहां अपने सृजक की पवित्रतम आशाओं तथा अपने सर्वाधिक प्रियजनों को छोड़ रहा हूं। मैं उस जनता को छोड़ रहा हूं, जिसने अपने पुत्र की तरह मेरा स्वागत किया। इससे मुझे गहरी पीड़ा पहुंचती है। मैं संघर्ष के अग्रिम स्थलों में उस विश्वास को ले जा रहा हूं, जो मैंने आपसे सीखा। जहां कही भी हो- मैं साम्राज्यवाद के विरूद्ध लड़ने के लिए अपनी जनता के अदम्य क्रांतिकारी उत्साह और पवित्र कर्तव्यों को निभाने की भावनाओं को भी अपने साथ ले जा रहा हूं - यह सोचकर मुझे प्रसन्नता होती है और विछोह की गहरी पीड़ा को झेलने का साहस प्राप्त होता है।
    मैं एक बार और घोषित करता हूं कि मैंने क्यूबा को अपने उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया है, केवल एक बात को छोड़कर जो उसके उदाहरण से उत्पन्न होता है। यदि मेरा अंतिम क्षण मुझे अन्य आकाश के नीचे पाता है तो मेरा अंतिम विचार इस जनता और विशेषतः आपके संबंध में होगा। मैं आपकी शिक्षा और आपके उदाहरण के लिए कृतज्ञ हूं और मैं अपने कार्यों के अंतिम परिणामों में प्रति विश्वासपात्र बनने का प्रयास करता रहूंगा।
    मैं अपनी इस क्रांति की वैदेशिक नीति से संबंधित समझा जाता रहा हूं और मैं उसे ज़ारी रखूंगा। मैं जहां भी रहूं, एक क्यूबाई क्रांतिकारी के उत्तरदायित्व को अनुभव करता रहूंगा और तदनुरूप आचरण करूंगा। मुझे इस बात का कोई खेद नहीं कि मैं अपने बच्चों और पत्नी के लिए कोई संपत्ति नहीं छोड़ गया हूं। मुझे प्रसन्नता है कि ऐसा हुआ। मैं उनके लिए कोई मांग नहीं करता, क्योंकि मैं जानता हूं कि राज्य उनके व्यय और शिक्षा के लिए यथेष्ट प्रबंध करेगा।
    मैं आपके और अपनी जनता से बहुत कुछ कहना चाहूंगा, लेकिन अनुभव करता हूं कि यह सब अनावश्यक है। मैं जो कुछ कहना चाहता हूं, शब्द से अभिव्यक्त करने में असमर्थ हैं और मैं नहीं सोचता कि बेकार की मुहावरेबाजी का कोई मूल्य है।
सदा विजय के मार्ग पर! मातृभूमि या मृत्यु!
अपनी संपूर्ण क्रांतिकारी भावना के साथ मैं आपका आलिंगन करता हूं।
                                                                                                                                                 - चे
अप्रैल, 1965

[यह पत्र है उस महान हुतात्मा का! वह जो क्रांति के लिए जनमा, क्रांति के लिए जिया और क्रांति के लिए मर मिटा। अन्याय, परपीड़न और शोषण की दुर्द्धर्ष शक्तियों के विरूद्ध अनथक, अनवरत संघर्ष में जिसने त्याग और बलिदान का सर्वश्रेष्ठ आदर्श उपस्थित किया। क्यूबाई क्रांति के नेता और प्रधान फीदेल कास्त्रो के नाम इस पत्र से उसका जो स्वरूप उभरता है, वह विगत और वर्तमान के सभी क्रांतिकारियों से कितना भिन्न, कितना अनूठा है- इस पत्र का प्रत्येक शब्द उस स्वरूप को मुखर करने में स्वतः सक्षम है।]

साभार : क्रांतिदूत चे ग्वेरा
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...