डाकिए की ओर से: एक नज़र में तारकोवस्की का हाल भी हमारे देश के महान फिल्मकार ऋत्विक घटक जैसा ही था। जब फिल्में बनाते सरकार विद्रोह या बकवास करार देकर प्रतिबंध लगाती। दोनों जगह यह साजिश थी। जैसे ऋत्विक घटक के जाने के बाद सिनेमा के छात्रों को उनकी बनाई फिल्में देखने को कहा जाता है। तारकोवस्की ने अपनी डायरी में मठाधीशों और सरकारी अधिकारियों को जमकर कोसा है। यहां यह सवाल भी उठता है कि देश में विषय वाइज विशेषज्ञ होना चाहिए अन्यथा इज्जत नहीं मिलती। उदाहरणार्थ हमारे यहां स्पोटर्स में खिलाडि़यों ज्यादा जानकार नेता होते हैं। देखिए चीजें कैसे लिंक्ड हो जाती हैं और कहां से कहां चली जाती हैं।
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1973
5 फरवरी,
यूगोस्लाविया द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समारोह में रूबल्योव को ग्रैंड प्राइज प्राप्त हुआ।
नजायज़ मानी गई इस फिल्म रूबल्योव को यह चैथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
17 जून,
रूबल्योव को स्वीडर में दिखाया जा रहा है, एंडरसन के बताए अनुसार बर्गमन ने कहा उन्होंने इतनी बढि़या फिल्म आज तक नहीं देखी।
उसे पूरी तरह खोलना होगा, उससे सीधे सीधे भिड़ना होगा, उसकी तरफ दूर से नहीं आया जा सकेगा, छिलका निकाल फेंकना होगा, उसे अपने ही ढंग से पढ़ो, कलाकार के एकांत की ट्रेजेडी ही सर्वोपरि है और सत्य को समझने के लिए उसकी कीमत चुकाना भी।
1975
3 जुलाई
कोई योजना कैसे परिपक्व होती है ?
निस्संदेह यह अत्यंत भेदभरी और अत्यंत दुग्र्राह्य प्रक्रिया है। हमारे बंधन से छुटी वह अचेतन में आज़ाद जारी रहती है, और तंतःकरण की दीवारों पर निश्चिमत रूप धारण करती है। फिर अंतःकरण का रूप ही उसे विलक्षण बनाता है, दरअसल सिर्फ अंतःकरण ही उसके उस बिंब की प्रच्छन्न गर्भावधि तय करता है जो सामान्य नज़रों से नहीं देखा जा सकता।
1976
8 फरवरी
मेरा पूरा यकीन है कि समय उत्क्रमणीय है, किसी भी हालत में वह सीधी रेखा में नहीं चलता।
13 सितंबर
हम या तो एक दूसरे के गुणों को कम आंकते हैं या फिर बढ़ा चढ़ा कर बताते है। बहुत कम लोग दूसरों का आकलन उनकी योग्यता के आधार पर करने के काबिल होते हैं। यह कोई खास तरह की प्रतिभा होती है, सचमुच यहां तक कह सकता हूं कि केवल कुछ एक महान लोग ही इस योग्य होते हैं।
1977
28 दिसंबर
कमज़ोरी महान चीज़ है, ताकत गौण है। जब मनुष्य जन्म लेता है त बवह कमज़ोर और कोमल होता है। जब मरता है तब मजबूत और कठोर होता है।
जब एक पेड़ उगता है तब वह लचीला और मुलायम होता है, और जब वह सूख कर कड़क होता है तब मर जाता है। कठोरता और ताकत मृत्यु के सहचर हैं।
नमनशीलता और कमज़ोरी ‘होने‘ की ताज़गी के निशान हैं। जो कड़ा हो गया वह कभी सफल नहीं होगा। (लाओ-त्से)
1978
13 अप्रैल
वाकई... मैं दि मास्टर एंड मार्गारिता पर फिल्म क्यों नहीं बना रहा ? क्योंकि वह किसी प्रतिभाशाली लेखक का उन्यास है ? हालांकि, सवाल गद्य कैसा क्य है यह नहीं, विषयवस्तु का निरूपण कैसा और क्या है इसका नहीं नहीं, कथानक का नहीं, भाषा का भी नही !
मध्य-युग और नवजागरण की सारी चित्रकला की और संगीत कला की, अंततः एक ही, वही की वही, विषयवस्तु रही। द्यूरर, क्रोनेच, ब्रूघेल, बाख, हांदेल, लिओनार्दो, माइकलएंजेलो आदि सभी की...
इसमें आदिम स्त्रोतों को धंुधला करने जैसी कोई बात नहीं। यहां बात है दक्षता की, और वस्तु की, और फिर कलाकार ही उस्ताद है, क्योंकि उसे मालूम है किससे क्या बनाना है।
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पुस्तक : अनंत में फैलते बिम्ब : तारकोवोस्की का सिनेमा
साभार : संवाद प्रकाशन, हिंदी अनुवाद.
पुनःश्च:- आज एस पी सिंह की पुण्यतिथि है। पत्रकारिता के इस पारखी पत्रकार को डाकिए का सलाम। कुछ आलेख यहां और एक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
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जाती सासें 'बीते' लम्हें
आती सासें 'यादें' बैरंग.