डाकिए की ओर से: इब्ने इंशा की 'उर्दू की आखि़री किताब' हाथ आई है। इसका पाठ किसी टीचर का स्टूडेंट को दिया लेसन सा है। तंजनिगारी के फितरतन जुमले छोटे और मारक हैं। डाकिए ने तकनीकी सहूलियत के बायस नुक्तों से परहेज किया है। पहली किस्त.
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हमारा मुल्क
ईरान में कौन रहता है ?
ईरान में ईरानी कौम रहती है।
इंगलिस्तान में कौन रहता है ?
इंगलिस्तान में अंग्रेज़ी कौम रहती है।
फ्रांस में कौन रहता है ?
फ्रांस में फ्रांसीसी कौम रहती है।
ये कौन सा मुल्क है?
ये पाकिस्तान है।
इसमें पाकिस्तानी कौम रहती होगी?
नहीं, इसमें पाकिस्तानी
कौम नहीं रहती है। इसमें सिन्धी कौम रहती है। इसमें पंजाबी कौम रहती है। इसमें बंगाली कौम रहती है। इसमें यह कौम रहती है। इसमें वह कौम रहती है।
लेकिन पंजाबी तो हिन्दुस्तान में भी रहते हैं। सिन्धी तो हिन्दुस्तान में भी रहते हैं। फिर ये अलग मुल्क क्यों बनाया था?
गल्ती हुई, माफ कर दीजिए, आइन्दा नहीं बनाएंगे।
पाकिस्तान
हद्दे अरबा (चौहद्दी) : पाकिस्तान के मशरिक में सीटो है मगरिब में सन्टो है, शुमाल (उत्तर) में ताशकन्द और जुनूब (दक्षिण) में पानी। यानी जायेमफर (भागने की जगह)किसी तरफ नहीं है ?
पाकिस्तान के दो हिस्से हैं - मशरिकी पाकिस्तान और मगरिबी पाकिस्तान। ये एक-दूसरे से बड़े फासले पर हैं। कितने बड़े फासले पर, इसका अंदाज़ा आज हो रहा है। दोनों का अपना-अपना हद्दे अरबा भी है।
मगरिबी पाकिस्तान के शुमाल में पंजाब, जुनूब में सिन्ध, मशरिक में हिन्दुस्तान और मगरिब में सरहद और बलूचिस्तान में है। मियां ! पाकिस्तान खुद कहां वाका (स्थित) है ? और वाका है भी कि नहीं, इस पर आजकल रिसर्च चल रही है।
मशरिकी पाकिस्तान के चारों तरफ आजकल मशरिकी पाकिस्तान ही है।
भारत
ये भारत है। गांधीजी यहीं पैदा हुए थे। यहां उनकी बड़ी इज्जत होती थी। उनको महात्मा कहते थे। चुनांचे मारकर उनको यहीं दफन कर दिया और समाधि बना दी। दूसरे मुल्कों के बड़े लोग आते हैं तो इस पर फूल चढ़ाते हैं। अगर गांधी जी न मारे जाते तो पूरे हिन्दुस्तान में अकीदतमन्दों (श्रद्धालुओं) के लिए फूल चढ़ाने के लिए कोई जगह न थी। यह मसला हमारे यानी पाकिस्तानवालों के लिए भी था। हमें कायदे आजम (जिन्ना साहब) का ममनून (कृतज्ञ) होना चाहिए कि खुद ही मर गए और सेफारती (पर्यटक) नुमान्दों की फूल चढ़ाने की एक जगह पैदा कर दी। वरना शायद हमें भी उनको मारना पड़ता।
भारत का मुकद्दस (पवित्र) जानवर गाय है। भारतीय उसी का दूध पीते हैं, उसी के गोबर से चैका लीपते हैं। लेकिन आदमी को भारत में मुकद्दस जानवर नहीं गिना जाता।
अकबर के नवरत्न
अकबर अनपढ़ था। बाज़ लोगों को गुमान है कि अनपढ़ होने की वजह से ही इनती उम्दा हुकूमत कर गया। उसके दरबार में पढ़े-लिखे नौकर थे। नवरत्न कहलाते थे। यह रिवायत उस ज़माने से आजतक चली आती है कि अनपढ़ पढ़े-लिखों को नौकर रखते हैं और पढ़े-लिखे इस पर फख्र करते हैं।
सबक: तुम अनपढ़ रहकर अकबर बनना पसंद करोगे या पढ़ लिख कर उसका नवरत्न ?
ये कमाल की किताब है...मैंने कोई बीस साल पहले पढ़ी थी...बहुत कुछ अभी भी याद है और आपकी पोस्ट ने यादों को ताज़ा कर दिया...शुक्रिया
ReplyDeleteनीरज
पढ़ने से काफी कुछ रह गया है.... उसी को आपकी लौटी बेरंग में पढ़ा ... आभार.
ReplyDeleteबहुत बढिया भाई..इब्ने-इंशा की इस किताब के बारे मे किसी से सुना था..और तब से इस किताब के नाम सर्चवारंट जारी कराया था..मगर अभी तक इंटरपोल के हाथ भी नही आयी..इसलिये ये अच्छा लगा कि डाकिया अब किताब को किश्तों मे हम निठल्लों तक घंटी बजाते हुए पहुंचाता रहेगा..सेटायर लिखने मे इब्नेइंशा खासे नामवर रहे हैं..और आप भी छाँट-छाँट कर टुकड़े लाये हैं..शुक्रिया
ReplyDeleteवैसे पढ़ते हुए सोच रहे थे कि हम भले ही नवरतन बन कर रह गये..मगर बच्चों को बादशाह अकबर ही बनायेंगे अब... :-)हमारा भी फ़ख्र करने का दिन आयेगा..
आरदणीय
ReplyDeleteआपके द्वारा लिखे गये शब्दों के पढकर सचमुच भाव विभोर हो गया हेूं इस बेहतरीन post के लिये बधाई स्वीकार करें सादर
अशोक कुमार शुक्ला .