Sunday, April 14, 2013

मैं अमरीकी सरकार पर आतंकवाद की हिफाजत करने और एक पूर्णतः मानवद्रोही भाषण देने का अभियोग लगाता हूं

डाकिए की ओर से: एक घटना है कि एक पादरी बाइबल लेकर एक अनजान जगह आता है। और कई साल बाद वहां के हर ग्रामीण के हाथ में बाइबल होता है और वहां के सारी ज़मीन का मालिक पादरी बन जाता है। ह्यूगो शावेज फ्रियास ने साम्राज्यवाद के विरूद्ध यह संबोधन 20 सितंबर 2006 को काराकास में हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन में दिया था। शावेज एक जननेता। वे हमारे साथ हमेशा रहेंगे। शावेज, एक शेर को डाकिए का सलाम।
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अध्यक्ष महोदया, महामहिम राज्याध्यक्ष, सरकारों के प्रमुख और दुनिया की सरकारों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिगण आप सबको शुभ दिवस!

सबसे पहले आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि जिसने भी यह किताब नहीं पढ़ी है, इसे जरूर पढ़ ले। अमरीका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बहुत ही सम्मानित बुद्धिजीवी नोम चोम्सकी की ताज़ा रचना मैंने पढ़ी - ‘वर्चस्व या अस्तिव रक्षा ? दुनिया पर प्रभुत्व कायम करने की अमरीकी कोशिश।’ यह किताब 20वीं सदी के दौरान जो कुछ हुआ और जो आज भी हो रहा है, हमारे भूमण्डल के ऊपर जो गम्भीर खतरे मंडरा रहे हैं, अमरीकी साम्राज्यवाद के जिस वर्चस्ववादी मंसूबे ने मानव जाति के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है, उन सबको समझने में यह काफी मददगार है। डेमोक्लीज की तलवार की तरह हमारे ऊपर लटक रहे इस खतरे के प्रति हम लगातार अमरीका और पूरी दुनिया की जनता को चेतावनी दे रहे है। और उनका आह्वान कर रहे हैं।

मैं इसका एक अध्याय यहां पढ़ना चाहता था, लेकिन समय के अभाव में मैं केवल आपसे पढ़ने का अनुरोध भर कर रहा हूं। यह काफी प्रवाहमय है। अध्यक्ष महोदया, यह वास्तव में बहुत अच्छी किताब है और आप जरूर इससे वाकिफ होंगी। यह अंग्रेजी, जर्मन, रशियन और अरबी में छपी है। देखिए, मेरे ख्याल से संयुक्त राज्य अमरीका के हमारे भाई-बहनों को तो सबसे पहले इसे पढ़ना चाहिए क्येांकि खतरा उनके घर में है। शैतान उनके घर में, खुद उनके घर के भीतर है।

शैतान कल यहां भी आया था। (हंसी और तालियां) कल शैतान यहीं था। ठीक इसी जगह। यह टेबुल जहां से मैं बोल रहा हूं, वहां अभी भी सल्फर की बदबू आ रही है। कल, बहनों-भाइयों ठीक इसी सभागार में संयुक्त राज्य अमरीका का राष्ट्रपति जिसे मैं शैतान कह रहा हूं, आया था और ऐसे बोल रहा था, जैसे वह दुनिया का मालिक हो। कल उसने जो भाषण दिया था, उसे समझने के लिए हमें किसी मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ेगी। 

साम्राज्यवाद के प्रवक्ता के रूप में वह हमें अपने मौजूदा वर्चस्व को बनाए रखने, दुनिया की जनता के शोषण और लूट की योजना को नुस्खा देने आया था। इस पर पर तो अल्फ्रेड हिचकाॅक की एक डरावनी फिल्म तैयार हो सकती है। मैं उस फिल्म का नाम भी सुझा सकता हूं - ‘‘शैतान का नुस्खा।’’ मतलब अमरीकी साम्राज्यवाद, और यहां चोम्सकी इस बात को गहरी और पारदर्शी स्पष्टता के साथ कहते हैं कि अमरीकी साम्राज्यवाद अपीन वर्चस्ववादी प्रभुत्व की व्यवस्था को मजबूत बनने की उन्माद भरी कोशिशें कर रहा है। हम ऐसा होने नहीं देंगे, हम उन्हें विश्वव्यापी तानाशादी लादने नहीं देंगे।

दुनिया के इस जालिम राष्ट्रपति का भाषण मानवद्वेष से भरा हुआ था, पाखण्ड से भरा हुआ था। यही वह साम्राज्ञी पाखण्ड है जिसके सहारे वे हर चीज पर नियंत्रण कायम करना चाहते हैं। वे हम सबके ऊपर अपने द्वारा गढ़े गए लोकतंत्र के नमूने को थोपना चाहते हैं, अभिजात्यों का फर्जी लोकतंत्र और इतना ही नहीं, एक बहुत ही मौलिक लोकतांत्रिक नमूना जो विस्फोटों, बमबारियों, घुसपैठों और तोप के गेलों के सहारे थोपा जा रहा है, क्या ही सुंदर लोकतंत्र है! हमें अरस्तू और प्राचीन यूनानियों के लोतंत्र के सिद्धांतों का पुनरावलोकन करना होगा यह समझने के लिए कि यह किस प्रकार के लोकतंत्र का नमूना है जो समुद्री बड़ों, आक्रमणों, घुसपैठों और बमों के ज़रिए आरोपित किया जा रहा है।

अमरीकी राष्ट्रपति ने इस छोटे से सभागार में कल कहा था कि ‘आप जहां भी जाओ, आपको उग्रवादी यह कहते हुए सुनाई देते हैं कि आप हिंसा और आतंक, मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं और अपना सम्मान फिर से हासिल कर सकते हैं।’ वह जिधर भी देखता है, उसे उग्रवादी दिखाई देते हैं। मुझे यकीन है कि वह आपकी चमड़ी के रंग को देखता है भाई और सोचता है कि आप एक उग्रवादी हो। अपनी चमड़ी के रंग के चलते ही बोलीविया के माननीय राष्ट्रपति इवो मोरालेस जो कल यहां आए थे, एक उग्रवादी हैं। साम्राज्यवादियों को हर जगह उग्रवादी दिखाई देते हैं। नहीं, ऐसा नहीं कि हमलोग उग्रवादी हैं। हो ये रहा है कि दुनिया जाग रही है और हर जगह जनता उठ खड़ी हो रही है। मुझे ऐसा लगता है कि श्रीमान् साम्राज्यवादी तानाशाह कि आप अपने बाकी के दिन एक दुःस्वप्न में गुजारेंगे, क्योंकि आप चाहे जिधर भी देखेंगे हम अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ उठ खड़े हो रहे होंगे। हां, वे हमें उग्रवादी कहते हैं क्योंकि हम दुनिया में सम्पूर्ण आज़ादी की मांग करते हैं जनता के बीच समानता की मांग करते हैं और राष्ट्रीय सम्प्रभुता के सम्मान की मांग करते हैं। हम साम्राज्य के खिलाफ, वर्चस्व के ताने-बाने के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं। 

आगे राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘आज हम सारे मध्यपूर्व की समूची जनता से सीधे-सीधे कहना चाहेंगे कि मेरा देश शांति चाहता है।’’ यह पक्की बात है। अगर हम ब्रोंक्स की सड़कों से गुजरें, यदि हम न्यूयार्क, वाशिंगटन, सान दियेगो, कैलीफोर्निया, सन फ्रांसिस्को की गलियों से होकर गुज़रें और उन गलियों के लोगें से पूछें तो यही जवाब मिलेग कि अमरीका की जनता शांति चाहती है। फर्क यह है कि इस देश की, अमरीका की सरकार शांति नहीं चाहती। युद्ध का भय दिखाकर हमारे ऊपर अपने शोषण और लूट और प्रभुत्व का प्रतिमान थोपना चाहती है। यही थोड़ा सा फर्क है।

जनता शांति चाहती है लेकिन इराक में हो क्या रहा है? और लेबनान और फिलिस्तीन में क्या हुआ? और सौ सालों तक लातिन अमरीका और दुनियाभर में क्या हुआ? और वेनेजुएला के खिलाफ धमकी और ईरान के खिलाफ नई धमकी? लेबनान की जनता से उसने कहा, ‘‘आप में से बहुतों ने अपने घर और अपने समुदायों को जवाबी गोलाबारी में फंसते देखा।’’ क्या सनकीपन है? दुनिया के सामने सफेद झूठ बोलने की कैसी महारत है? बेरूत के ऊपर एक एक सेंटीमीटर की नाप-जोख करके गिराए गए बम क्या ‘‘जवाबी गोलाबारी’’ थी! मेरे ख्याल से राष्ट्रपति उन पश्चिमी फिल्मों की बात कर रहा है जिसमें वे कमर की ऊंचाई से दूसरे पर अंधाधंुध गोलियां चलाते हैं और बीच में फंस कर कोई मर जाता है। 
साम्राज्यवादी गोलाबारी, फासीवादी गोलाबारी! हत्यारी गोलाबारी! साम्राज्यवादियों और इजरायल के द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान की निर्दोष जनता के खिलाफ नरसंहारक गोलाबारी, यही सच है। अब वे कहते हैं कि तबाह किए गए घरों को देखकर परेशान हैं।

आज सुबह मैं अपने भाषण की तैयारी के दौरान कुछ भाषणों को देख रहा था। अपने भाषण में अमरीकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की जनता को, लेबनान की जनता को, ईरान की जनता को सम्बोधित किया। कोई भी, अमरीकी राष्ट्रपति को उन लोगों को सम्बोधित करते हुए सुनेगा तो वह अचरज में पड़ जाएगा। वे लोग उससे क्या कहेंगे? यदि वे लोग उससे कुछ कह पाते तो उसे भला क्या कहते? मुझे इसका कुछ अंदाजा है क्योंकि मैं उन लोगों की, दक्षिण के लोगों की आत्मा से परिचित हूं। यदि दुनियाभर के वे लोग अमरीकी साम्राज्यवाद से एक ही आवाज़ में बोलें, तो दबे-कुचले लोग कहेंगे - साम्राज्यवादी वापस जाओ! यही वह चीख होगी जो पूरी दुनिया में गूंज उठेगी। 

अध्यक्ष महोदया, साथियों.... और दोस्तों.... पिछले साल हमलोग ठीक इसी सभागार में आए, पिछले आठ वर्षों से हमलोग यहां जुटते हैं और हम सबने कुछ बातें कही थीं जा आज पूरी तरह सही साबित हुई है। मेरा विश्वास है कि इस जगह बैठे हुए लोगों में से कोई भी नहीं होगा जो संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था के समर्थन में खड़ा होग। हमें इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जिस संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्भव हुआ था, वह किसी काम का नहीं रहा। हां, ठीक है कि यहां आना और भाषण देना और एक-दूसरे से साल में एक बार मिलना-जुलना, इतना काम तो होता है। लंबे दस्तावेज़ तैयार करना, अपने विचार व्यक्त करना और अच्छे भाषण सुनना, जैसा कल इवो ने और लूला ने दिया था, हां इसके लिए यह ठीक है और भी कई अच्छे भाषण भी, जैसा अभी-अभी श्रीलंका के राष्ट्रपति और चिली के राष्ट्रपति ने दिया। लेकिन हमने इस मंच को महज एक विचार मंडल में बदल दिया है जिसमें आज पूरी दुनिया जिन भयावह सच्चाइयों से रूबरू है उन्हें रत्ती भर भी प्रभावित करने का कोई दम नहीं है। इसलिए हम यहंा एक बार फिर आज यानि 20 सितंबर, 2006 को संयुक्त राष्ट्र संघ की पुनस्र्थापना का प्रस्ताव रखते हैं। पिछले साल अध्यक्ष महोदया, हमने चार निम्न प्रस्ताव रखे थे, जिन्हें मैं महसूस करता हूं कि राज्याध्यक्षों, सरकार के प्रमुखों, राजदूतों और प्रतिनिधियों द्वारा स्वीकृति दिया जाना अत्यंत जरूरी है। हमने इन प्रस्तावों पर विचार-विमर्श भी किया है। 

पहला - विस्तार। कल लूला ने यही बात कही थी, सुरक्षा परिषद् के स्थाई और साथ ही अस्थाई पदों को भी विकसित, अविकसित और तीसरी दुनिया के देशों के बीच से नए सदस्यों के लिए खुला रखना जरूरी है। यह पहली प्राथमिकता है। 

दूसरा - दुनिया के टकरावों का समाना करने और उन्हें हल करने के लिए प्रभावी तौर-तरीके अपनाना। वाद-विवाद और निर्णय लेने के पारदर्शी तौर-तरीके। 

तीसरा - वीटो की गैरजनवादी प्रणाली तत्काल समाप्त करना। सुरक्षा परिषद् के निर्णयों के ऊपर वीटो के अधिकार का प्रयोग हमारे ख्याल से एक बुनियादी सवाल है और हम सब इसे हटाने की मांग करते हैं। इसका ताजा उदाहरण है अमरीकी संरकार द्वारा अनैतिक वीटो जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के एक प्रस्ताव को बाधित करके इजरायली सेना को लेबनान की तबाही की खुली छूट दे दी और हम विवश देखते रहे। 
चैथा - जैसा कि हम हमेशा कहते रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव की भूमिका और उसके अधिकारों को मजबूत बनाना जरूरी है। कल हमने महासचिव का भाषण सुना जिनका कार्यकाल जल्दी ही खत्म होने जा रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले दस वर्षों के दौरान दुनिया पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो गई है तथा भूख, गरीबी, हिंसा और मानवाधिकारों के हनन जैसी दुनिया की गंभीर समस्याएं लगातार विकट होती गई हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था के पतन और अमरीकी साम्राज्यवाद के मंसूबों का भयावह परिणाम है।

अध्यक्षा महोदया, इसके सदस्य के रूप में अपनी-अपनी हैसियत को समझते हुए कई साल पहले वेनेजुएला ने फैसला किया था कि हम संयुक्त राष्ट्र संघ के भीतर अपनी आवाज़, अपने विनम्र विचारों के ज़रिए यह लड़ाई लडें़गे। हम एक स्वतंत्र आवाज़ हैं, स्वाभिमान के प्रतिनिधि हैं, शांति की तलाश में हैं और एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के निरूपण की मांग करते हैं जो दुनियाभर की जनता के उत्पीड़न और वर्चस्ववादी आक्रमणों की भत्र्सना करे। इसी को ध्यान में रखते हुए वेनेजुएला ने अपना नाम प्रस्तुत किया है। बोलिवर की धरती ने सुरक्षा परिषद् के अस्थायी पद के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम प्रस्तुत किया है। निश्चय ही आप सब जानते हैं अमरीकी सरकार ने एक खुला आक्रमण छेड़ दिया है ताकि वह सुरक्षा परिषद् के खुले पद को स्वतंत्र चुनाव के ज़रिए हासिल करने में वेनेजुएला की राह में बाधा खड़ी करे। वे सच्चाई से डरते हैं। साम्राज्यवादी सच्चाई और स्वतंत्र आवाज़ से भयभीत हैं। वे हम पर उग्रवादी होने की तोहमत लगाते हैं। 

उग्रवादी तो वे खुद हैं। 

मैं उन सभी देशों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने वेनुजुएला को समर्थन देने की घोषणा की है, बावजूद इसके कि मतदान गुप्त है और किसी के लिए अपन मत ज़ाहिर करना जरूरी नहीं। लेकिन मैं सोचता हूं कि अमरीका के खुले आक्रमण ने कई देशों को समर्थन के लिए बाध्य कर दिया ताकि वेनेजुएला को, हमारी जनता और हमारी सरकार को नैतिक रूप से बल प्रदान करे। 

मरकोसुर के हमारे भाइयों एवं बहनों ने, मिसाल के लिए एक समूह के तौर पर वेनेजुएला को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। अब हम ब्राजील, अर्जेंटीना, उरूग्वे, परागुए के साथ मरकोसुर (लातिन अमरीकी साझा बाज़ार) के स्थायी सदस्य हैं। बोलीविया जैसे कई दूसरे लातिन अमरीकी देशों और सभी कैरीकाॅम (कैरीबियाई साझा बाज़ार) के देशों ने भी वेनेजुएला को अपना समर्थन देने का वचन दिया है। सम्पूर्ण अरब लीग ने वेनेजुएला को समर्थन देने की घोषण की है। मैं अरब दुनिया को, अरब दुनिया के अपने भाइयों को धन्यवाद देता हूं। अफ्रीकी संघ के लगभग सभी देशों ने तथा रूस, चीन और दुनियाभर के अन्य कई देशों ने भी वेनेजुएला को अपना समर्थन देने का वचन दिया है। मैं वेनेजुएला की ओर से, अपने देश की जनता की ओर से और सच्चाई के नाम पर आप सबको तहे दिल से धन्यवाद देता हूं क्योंकि सुरक्षा परिषद् में स्थान पाकर हम न केवल वेनेजुएला की आवाज़, बल्कि तीसरी दुनिया की आवाज़, पूरे पृथ्वी ग्रह की आवाज़ को सामने लाएंगे, वहां हम सम्मान और सच्चाई की हिफाजत करेंगे। अध्यक्ष महोदया, सबकुछ के बावजूद मैं सोचता हूं कि आशावादी होने के आधार हैं। 

जैसा कवि लोग कहते हैं, विकट आशावादी क्योंकि बमों, युद्ध, हमलों, निरोधक युद्धों और पूरी जनता की तबाही के खतरे के बावजूद कोई भी यह देख सकता है कि एक नए युग का उदय हो रहा है। जैसा कि सिल्वो रोड्रिग्ज गाता है - ‘‘जमाना एक नए जीवट को जन्म दे रहा है।’’ वैकल्पिक प्रवृत्तियां, वैकल्पिक विचार और स्पष्ट विचारों वाले नौजवान उभर कर सामने आ रहे हैं। बमुश्किल एक दशक बीता और यह बात साफ तौर पर साबित हो गई कि ‘इतिहास के अंत’ का सिद्धांत पूरी तरह फर्जी है। अमरीकी साम्राज्य और अमरीकी शांति की स्थापना, पूंजीवादी नवउदारवादी माॅडल की स्थापना जो दुःख-दैन्य और गरीबों को जन्म देते हैं - पूरी तरह फर्जी है। यह विचार पूरी तरह बकवास है और इसे कूड़े में फेंक दिया गया है। अब दुनिया के भविष्य को परिभाषित करना ही होगा। पूरी पृथ्वी पर एक नया सवेरा हो रहा है जिसे हर जगह देखा जा सकता है - लातिन अमरीका में, एशिया, अफ्रीका, यूरोप और ओसीनिया में। इस आशावादी नज़रिए पर मैं अच्छी तरह रोशनी डाल रहा हूं ताकि हम अपनी अंतरात्मा और दुनिया की हिफाजत करने का, एक बेहतर दुनिया, एक नई दुनिया के निर्माण के लिए लड़ने का, अपना इरादा पक्का कर लें।

वेजेजुएला इस संघर्ष में शामिल हो गया है और इसलिए हमें धमकियां दी जा रही हैं। अमरीका ने पहले ही एक तख्तापलट की योजना बनाई, उसके लिए पैसे दिए और उसे अंजाम दिया। अमरीका आज भी वेनेजुएला में तख्तापलट की साजिश रचने वालों की मदद कर रहा है और वे लगातार वेनेजुएला के खिलाफ आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं। 
राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट ने कुछ दिनों पहले माफ करें, कुछ ही मिनटों पहले यहां बताया कि चिली के विदेश मंत्री ओरलांदो लेतेलियर की कितनी भयावह तरीके से हत्या की गई। मैं इसमें इतना और जोड़ दूं कि अपराधी दल पूरी तरह आजाद हैं। उस कुकृत्य के लिए, जिसमें एक अमरीकी नागरिक भी मारा गया था, जो लोग जिम्मेदार हैं वे सीआईए के उत्तरी अमरीकी लोग हैं, सीआईए के आतंकवादी हैं। 

इसके साथ मैं इस सभागार में यह भी याद दिला देना जरूरी समझता हूं कि आज से 30 साल पहले एक हृदयविदारक आतंवादी हमले में क्यूबाना दे एविएसियोन के एक हवाई जहाज को बीच आकाश में उड़ा दिया गया था और 73 निर्दोष नागरिकों कोमोत के घाट उतार दिया गया था। इस महाद्वीप का वह सबसे घिनौना आतंकवादी कहां है जिसने स्वीका किया था कि उस क्यूबाई हवाई जहाज को उड़ाने के षडयंत्र का दिमागी खाका उसी ने तैयार किया था ? वह कुछ सालों तक वेनेजुएला की जेल में था, लेकिन सीआईए के अधिकारियों और वेनेजुएला की तत्कालीन सरकार की मदद से वह फरार हो गया। आजकल वह अमरीका में रह रहा है और वहां की सरकार उसका बचाव कर रही है, इसके बावजूद कि उसने जुर्म का इकबाल किया था और उसे सजा हुई थी। अमरीका दोगली नीति अपनाता है और आतंकवादियों का बचाव करता है। 

इन बातों के ज़रिए मैं यह बताना चाहता हूं कि वेनेजुएला आतंकवाद के खिलाफ, हिंसा के खिलाफ संघर्ष के लिए वचनबद्ध है और उन सभी लोगों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है जो शांति के लिए और एक न्यायपूर्ण दुनिया के लिए संघर्षरत हैं।

मैंने क्यूबाई हवाई जहाज की बात की। लुइस पोसादा कैरिलेस नाम है उस आतंकवादी का। अमरीा में उसकी ठीक उसी तरह हिफाजत की जाती है जैसे वेनेजुएला के भ्रष्ट भगोड़ों की, आतंकवादियों के एक गिरोह की जिसने कई देशों के दूतावासों में बम लगाया था, तख्तापलट के दौरान निर्दोष लोगों की हत्या की थी और इस विनम्र सेवक (शावेज) का अपहरण किया था। वे मेरी हत्या करने ही वाले थे कि खुदा की मेहरबानी, अच्छे सैनिकों का एक समूह सामने आया और जिन्होंने जनता को सड़कों पर उतार दिया। यह चमत्कार ही समझिए कि मैं यहां मौजूद हूं। उस तख्तापलट और आतंकवादी कारनामे के नेता यहीं हैं, अमरीकी सरकार की सुरक्षा में (अभी हाल ही में खबर आयी कि अमरीका ने इस आतंकवादी कैरिलेस को रिहा कर दिया है - अनुवादक) मैं अमरीकी सरकार पर आतंकवाद की हिफाजत करने और एक पूर्णतः मानवद्रोही भाषण देने का अभियोग लगाता हूं।

यहां तक क्यूबा की बात है, हम लोग खुशी-खुशी हवाना गए। कई दिनों तक हमलोग वहां रहे। जी-15 और गुट निरपेक्ष आंदोलन के सम्मेलन के दौरान पारित एक ऐतिहासिक प्रस्ताव और दस्तावेज में नए युग के उदय का स्पष्ट प्रमाण मौजूद था। परेशान न हों। मैं यहां उन सबको पढ़ने नहीं जा रहा हूं। लेकिन पूरी पारदर्शिता के साथ खुले विचार-विमर्श के बाद लिए गए प्रस्तावों का एक संग्रह यहां उपलब्ध है। पचास देशों के राज्याध्यक्षों की उपस्थिति में एक हफ्ते एक हवाना दक्षिण की राजधानी बना हुआ था। हमने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को दुबारा शुरू किया और आपने हमारी यही गुज़ारिश है कि मेरे भाईयों और बहनों, मेहरबानी करके आप लोग गुटनिरपेक्ष आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए अपना पूरा सहयोग दें, क्योंकि यह नए युग के उदय और आधिपत्य और साम्राज्यवाद पर लगाम लगाने के लिए बहुत ही जरूरी है। साथ ही आप सब जानते हैं कि हमने फिदेल कास्त्रो को अगले तीन वर्षों के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अध्यक्ष बनाया है और हमें पक्का यकीन है कि साथी अध्यक्ष फिदेल कास्त्रो पूरी दक्षता के साथ अपना पद संभालेंगे। जो लोग फिदेल की मौत चाहते थे, उन्हें निराशा ही हाथ लगी क्योंकि फिदेल अपनी जैतूनी हरे रंग की वर्दी में वापस आ गए हैं और वे अब न केवल क्यूबा के राज्याध्यक्ष हैं बल्कि गुट निरपेक्ष आंदोलन के भी अध्यक्ष हैं। 

अध्यक्ष महोदया, मेरे प्यारे दोस्तों राज्याध्यक्षों, हवाना में दक्षिण का एक बहुत ही मजबूत आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। हम दक्षिण के औरत और मर्द हैं। हम इन दस्तावेज़ों, इन धारणाओं और विचारों के वाहक हैं। जिन परचों और पुस्तकों को मैं वहां से अपने साथ लाया हूं - वे आपके लिए रखवा दिए गए हैं। इन्हें भूलिएगा मत। मैं वास्तव में आपसे इन्हें पढ़ने की सिफारिश कर रहा हूं। पूरी विनम्रता के साथ हमलोग इस ग्रह को बचाने, साम्राज्यवाद के खतरे से इसकी हिफाजत करने की दिशा में वैचारिक योगदान करने का प्रयास कर रहे हैं और भगवान ने चाहा तो जल्दी ही यह काम हो जाएगा। इस सदी की शुरूआत में ही यदि खुदा ने चाहा हमलोग खुद भी और अपने बच्चों, अपने पोते-पोतियों के साथ एक शांतिपूर्ण दुनिया का मज़ा ले सकेंगे, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नवीन और पुनर्निधारित बुनियादी सिद्धांतों के अनुरूप होगी। मेरा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र संघ किसी अन्य देश में स्थापित होगा, दक्षिण के किसी शहर में। हमने इसके लिए वेनेजुएला की ओर से प्रस्ताव दिया है। आप सबको पता है कि हमारे चिकित्सकों को हवाई जवाज में बंद करके रोक दिया गया है। हमारे सुरक्षा प्रमुख को हवाई जहाज में बंद कर दिया गया। वे उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में नहीं आने देंगे। एक और दुव्र्यवहार, एक और अत्याचार।
अध्यक्ष महोदया, मेरा आग्रह है कि इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर उसी सल्फ्यूरिक शैतान को जिम्मेदार माना जाए। 

गर्मजोशी भरा आलिंगन। खुदा हम सब की खैर करे।

शुभ दिवस।

साभार: समकालीन जनमत, अप्रैल 13

3 comments:

  1. ह्यूगो शावेज के लिए एक कविता
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    (20 सितम्बर 2006 को शावेज ने अपना मशहूर कराकास भाषण दिया था और उसके अगले ही दिन अमरीकी कवि माइकेल डी. मोरिस्से ने उस भाषण की प्रशंसा में अंतरराष्ट्रवाद से ओतप्रोत यह कविता लिखी थी)

    ***

    तुम्हारे शब्द ढाढस बंधाते हैं क्षतिग्रस्त राष्ट्र को
    तुम्हारे ही नहीं, बल्कि मेरे लंगड़ाते दिग्गज राष्ट्र को भी
    जिसकी आत्मा लहूलुहान कर दी है अपने ही नेताओं ने,
    उन्हीं लोगों ने जिन्हें तुम कहते हो
    साम्राज्यवादी और शैतान, हत्यारे, उत्पीडक.

    हमे भी पता है यह. लेकिन इसे तुम्हारे मुँह से सुनना जरूरी है
    क्योंकि हम जानते हैं तुम हमारे मित्र हो.
    तुम हमें भाई कहते हो, और हमें तुम पर भरोसा है.
    तुम हमें याद दिलाते हो दस्तावेजी सबूत के साथ, सीआइए के अपराधों की
    जिन्हें अंजाम दिया गया न सिर्फ तुम्हारे देश के खिलाफ,
    बल्कि कई दूसरे देशों और खुद हमारे अपने ही देश के खिलाफ.

    तुम जानते हो कि 9/11 और उसके बाद जो कुछ हुआ
    उन सब के पीछे शैतान बुशको था, और तुम्हें कोई भय नही इसे बताने में.
    चोमस्की नहीं जा सके इस हद तक, लेकिन डेविड ग्रिफिन गये
    और सहमत हैं तुमसे शैतान के विषय में.

    हमने भी यही किया. हम जनता के लोग
    जो गर्क हो रहे हैं बीते युग के जर्मनी जैसे फासीवाद में,
    जिन्होंने इतिहास से कोई सबक नहीं ली,
    गूंगे, बहरे और अंधे हो गये 9/11 से नहीं
    बल्कि टेलीविजन और न्यू यार्क टाइम्स के धमाकों से
    जो वर्षों पहले शैतान के हाथों बिक चुके थे.

    अब तुम आये, ह्यूगो शावेज, कहते हुए वह सब जो
    टाइम्स नहीं छापेगा, लेकिन हमारे दिल धधक रहे थे कहने को
    संयुक्त राष्ट्र की आम सभा से पहले ही.

    धन्यवाद दे रहे हैं तुम्हें इतने तुच्छ रूप में, इस उम्मीद के साथ
    कि कल ये छोटी-छोटी आवाजें गूंजेंगी समवेत सुर में
    जैसे आज तुम्हारे देश में, और बोलीविया में
    और एक दिन हमारे यहाँ भी होगा असली चुनाव फिर से
    और हम चुनेंगे तुम्हारे जैसे लोग जो सच बोलेंगे
    और वैसा ही करेंगे वे जो हम चाहते हैं
    न कि जैसा वे करना चाहते है, हमें गुलाम बनाने के लिए,
    हमारी जान लेने कंगाल बनाने और लूटने के लिए, और हद तो यह
    कि हमें पता भी नहीं इन जुल्मों का, इस ख्याल में कि आजाद हैं हम,
    “दुनिया का सबसे महान देश.”
    पूरे इतिहास में क्या इससे ज्यादा घृणास्पद राजसत्ता हुई है कोई?

    “और वे सोचते थे कि आजाद हैं वे!”
    यही दर्ज होगा हमारी कब्र के पत्थर पर
    तिरस्कर्ताओं के उप-राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से,
    अगर हम जागते नहीं, मेरे भाई, और हँसते नहीं तुम्हारी तरह
    भाईचारे और न्याय की हँसी. सलाम, अमरीकियों के दोस्त, ह्यूगो.

    ------ -माइकेल डी. मोरिस्से (हिंदी अनुवाद- दिगम्बर)

    साभार: समकालीन जनमत, अप्रैल 13

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  2. जब बुरावक्त फर्श मेंगिरी हुईकॉफ़ी की तरह बस निशान भर बाकी रहा अब, जिसे साफ़ करने भीकोईहाउस कीपिंग स्टाफ आता ही होगा.

    जब हो चुका है सबका जीवन सुखमय,

    और घर से प्रेम बस वॉकिंग डिस्टेंस पर है.

    सुख विन्डोज़ सेवन सा यूजर फ्रेंडली. रिश्तेमाइक्रो-थ्रैड सेयूँबुने गए हैं किना तो कोई गिरह दिखे, ना उनमें कोई दाग पड़े.

    और तो और अच्छी यादों की भी बकाजयदा एक्सटरनल मेमोरी हैं, प्लग एंड प्ले!

    आंसूकिसी हिलस्टेशन के होलीडे-सोविनियर से सहेजे गए हैं.

    और जबबुरी यादें, पुरानीगल्तियाँ फ़ेस बुक केनए संस् करण की तरह ज़िन्दगी की टाईम लाईन सेहटाई जा सकती हैं.

    तबजबकि सफलता सिग्मासिक्स की कसौटी पर खरी उतरी हैं आपकी,

    तोइंडीड डिजर्व करतेहैंआप उत्सवपार्टियां और डिनर फ्रेंच-कोर्स-मेन्युकी तरह लास्टिंगऔर फुर्सत भरा.

    ऑफकोर्स, विद मैच्योर्ड-टेबल-वाईन एंडलोड्स ऑवचीज़.

    और ऐसे ऑलमोस्ट परफेक्ट वर्ड में, जहाँस्वप्न जैसी चीज़का भी कोई बग नहीं, मुझेक्षमा करनाआप क्यूंकि बांटनाचाहता हूँ आपसे कुछ निजी अनुभव.

    जिन्हेंआप शायद सुनना पसंद भी ना करें,

    पर जब इस शिष्ट सभ्यता में एक बूढ़े के प्रति शिष्टता आपको मुझे सुनने पर बाध्य करे, तब,

    तबमैं आपको बताऊंगा कई अदरवाइज़-अन डिसकवर्ड, अन डिसकसड चीजें

    जैसे कि फॉर ऍन इगज़ेम्पल, मैंआपको बताऊंगा क्या होताहै भिखारी?

    और यकीन कीजिये दरअसल मैंइन्हेंदेखते हुए बड़ा हुआ हूँ,

    और मैं समझा सकता हूँआपको कि ये कैसे दिखतेहैं.

    बस ये जान लीजिये ऐसे दिखते हैं ये कि इन्हेंकोईदेखना पसंद नहीं करता.

    और यहीइनकी यू. एस. पी. भी है. इसी बातकी तो खाते हैं ये, नहीं आप गलत समझे, येजीते जागते इंसान होते हैं दरअसल, शायद अतिशयोक्ति में ज्यादा बोलगया ! हाँ पर समझनेको आप कह सकते हो कि, येइंसान, या लेट्स से फिनोमिना ऑटो पॉप अप वेबसाईटस जैसा कुछ होते हैं. जो जानते हैं उनकी जिंदगी में भी एक अनचाहा हस्तक्षेप. आप अगर ये समझगए तो आप समझ ही जायेंगेक्याहोता है गरीब, येभी दरअसलइंसान होतेहैं, जैसे माना आप थ्री जी इंसान हैं, येटूजी होतेहैं. न न इनके सिमबदलने से कुछ नहींहोगा, इनका मोबाइल ही कमपेटेबल नहीं है. वो हाउस कीपिंगस्टाफयाद हैकविता कि दूसरी लाइन में, हाँ बस वही ! चलिए आपको बतानेकि कोशिश करता हूँकि क्या होती है भूख, येसमझ लीजिए कि ये डिप्रेसन, जेट लेग और गाडी के ए. सी. खराब होने से भी बुरा है. लगभग उतना बुरा जितना रिलायंस का नेटवर्क और कोहरेके कारण रद्द हुई किंगफिशर की दिल्ली-इन्दोर फ्लाईट. च्च... च्च... च्च... बेड ना ? आईनो ! मेरे पास ढेर सारे बिम्ब हैंजिससेकि मैं बता पाऊं हूज़-हू रियलबोरिंगदुनियाँ में. पर सोच रहा हूँ कैसे बताऊं आपको कैसे दिखते हैं सपने, वो दरअसल तभीहोते हैं जबदुनियाँ में कुछ मिसिंग हो जैसे मम्म...
    ...जैसे एंड्रोइडमें गूगल प्ले।

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  3. शुक्रिया इसे यहाँ देने के लिए ...कंप्यूटर की स्क्रीन पर कुछ सनद रहती है तो लगता है लिखने पढने ओर जीने के लिए बहुत कुछ बाकी है

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जाती सासें 'बीते' लम्हें
आती सासें 'यादें' बैरंग.

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